भगवद्गीता 5वाँ आयाम

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संस्था द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी की 5th और 6th Dimension  की श्रृंखला में हिंदी में भगवद्गीता 5वाँ आयाम नवीनतम प्रकाशन है जिसमें अन्यान्य उन तथ्यों को भी समाहित किया गया है जो समय की आवश्यकता है । योगादि विद्याओं  को विकृत करके उनके द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना चारों ओर चल रहा है लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों को पुरातन ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तुत किया गया है ।

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संस्था द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी की 5th और 6th Dimension  की श्रृंखला में हिंदी में भगवद्गीता 5वाँ आयाम नवीनतम प्रकाशन है जिसमें अन्यान्य उन तथ्यों को भी समाहित किया गया है जो समय की आवश्यकता है । योगादि विद्याओं  को विकृत करके उनके द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना चारों ओर चल रहा है लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों को पुरातन ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तुत किया गया है । भगवद्गीता का पुरातन योग की  शिक्षा – दीक्षा में अग्रणी स्थान रहा है, आज भी है , कल भी रहेगा क्योंकि यह शाश्वत ज्ञान है । हमारी समस्त शिक्षाओं का आधार भगवद्गीता ही है तथापि प्रायोगिक योग के साधनों के लिए के लिये घेरण्ड संहिता , शिव संहिता , हठ योग प्रदीपिका एवं योग तथा तंत्र के प्राचीन ग्रंथों एवं उपनिषदों को भी शिरोधार्य करना पड़ता है इसलिए इनमें संकलित ज्ञान को भी यथासंभव समाहित किया गया है । संस्था योग के प्रायोगिक भाग को ही सर्वोपरि स्थान देती है इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में भी प्रयोगिक ज्ञान का पूर्ण समावेश है ।