हानि लाभ
हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ जब तुलसीदास यह कहते हैं कि हानि और लाभ, जीवन और मृत्यु, यश और अपयश या मान और अपमान विधाता के हाथ में है तो क्या आप इस उद्धरण से उनकी भावना को समझ सके ? ऐसा कहकर वे व्यापक रूप से यह बताना चाहते हैं …
हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ जब तुलसीदास यह कहते हैं कि हानि और लाभ, जीवन और मृत्यु, यश और अपयश या मान और अपमान विधाता के हाथ में है तो क्या आप इस उद्धरण से उनकी भावना को समझ सके ? ऐसा कहकर वे व्यापक रूप से यह बताना चाहते हैं …
भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ। याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥ तुलसीदास श्रद्धा और विश्वास को उमा और शिव का रूप मानते हैं और यह कहते हैं कि योग में सिद्धि प्राप्त करने वाले सिद्ध भी बिना श्रद्धा और विश्वास के अंतर्स्थित ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकते। जिस किसी भी चीज को हम …