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1. Amazing Power of Karm (Revised Edition of Bhagavad Gita 5th Dimension)
On Karma, Karma Yoga, Bhakti Yoga and Shakti Yoga. We live and move in three dimensions, that is length, breadth and height. Time which controls our birth and death is the fourth dimension. Another most important dimension not touched by even time and which changes our mode of life, our character, our behaviour is controller of our mind – Karma – the Fifth Dimension. In short, fifth dimension is controller of our destiny. Mind you, we are not destined, we are the maker of our own destiny. The opening chapter ‘Omnipotence of Karma’ underlines the inescapable reality of the inexorable law of Karma. Defining Karma Yoga as the use or application of thought (contrary to popular notion), the next chapter describes the life of a true Karma Yogi. Bhakti Yoga is shown as the highest form or culmination of Karma Yoga. The chapter on Shakti Yog brings the process of Yog to its culmination. (Price Rs 400 / US $16)
2. Bhagavad Gita 5th Dimension
On Karma, Karma Yoga, Bhakti Yoga and Shakti Yoga. We live and move in three dimensions, that is length, breadth and height. Time which controls our birth and death is the fourth dimension. Another most important dimension not touched by even time and which changes our mode of life, our character, our behaviour is controller of our mind – Karma – the Fifth Dimension. In short, fifth dimension is controller of our destiny. Mind you, we are not destined, we are the maker of our own destiny. The opening chapter ‘Omnipotence of Karma’ underlines the inescapable reality of the inexorable law of Karma. Defining Karma Yoga as the use or application of thought (contrary to popular notion), the next chapter describes the life of a true Karma Yogi. Bhakti Yoga is shown as the highest form or culmination of Karma Yoga. The chapter on Shakti Yog brings the process of Yog to its culmination. (Price Rs 400 / US $16)
3. Bhagavad Gita 6th Dimension
The presentation brings the topics of the 5th Dimension of Bhagavad Gita book to their logical conclusion. There are in all four chapters in this books viz. Brahma, Deválaya, Wondrous Kundalini and Siddhas. Brahma of Bhagavad Gita is not Brahmá of Vedantins. It is the creative faculty in each and every individual as also the Universal Mind. Human body is the greatest temple–Deválaya. The Chapter on Wondrous Kundalini contains secrets and treats in detail what Kundalini is, what Prana is, and how people in their misunderstanding and half-knowledge have taken both to be the same. The chapter on Siddhas – the Adepts of The Holy Order because people have as many views regarding Siddhas as Siddhas themselves. (Price Rs 400 / US $16)
4.भगवद्गीता 5वाँ आयाम
संस्था द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी की 5th और 6th Dimension की श्रृंखला में हिंदी में भगवद्गीता 5वाँ आयाम नवीनतम प्रकाशन है जिसमें अन्यान्य उन तथ्यों को भी समाहित किया गया है जो समय की आवश्यकता है । योगादि विद्याओं को विकृत करके उनके द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना चारों ओर चल रहा है लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों को पुरातन ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तुत किया गया है । भगवद्गीता का पुरातन योग की शिक्षा – दीक्षा में अग्रणी स्थान रहा है, आज भी है , कल भी रहेगा क्योंकि यह शाश्वत ज्ञान है । हमारी समस्त शिक्षाओं का आधार भगवद्गीता ही है तथापि प्रायोगिक योग के साधनों के लिए के लिये घेरण्ड संहिता , शिव संहिता , हठ योग प्रदीपिका एवं योग तथा तंत्र के प्राचीन ग्रंथों एवं उपनिषदों को भी शिरोधार्य करना पड़ता है इसलिए इनमें संकलित ज्ञान को भी यथासंभव समाहित किया गया है । संस्था योग के प्रायोगिक भाग को ही सर्वोपरि स्थान देती है इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में भी प्रयोगिक ज्ञान का पूर्ण समावेश है । (Price Rs 400 / US $16)
5. भगवद्गीता 6वाँ आयाम
संस्था द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी की 5th और 6th Dimension की श्रृंखला में हिंदी में भगवद्गीता 6वाँ आयाम नवीनतम प्रकाशन है जिसमें अन्यान्य उन तथ्यों को भी समाहित किया गया है जो समय की आवश्यकता है । योगादि विद्याओं को विकृत करके उनके द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करना चारों ओर चल रहा है लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में योग के विभिन्न अंगों को पुरातन ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तुत किया गया है । भगवद्गीता का पुरातन योग की शिक्षा – दीक्षा में अग्रणी स्थान रहा है, आज भी है , कल भी रहेगा क्योंकि यह शाश्वत ज्ञान है । हमारी समस्त शिक्षाओं का आधार भगवद्गीता ही है तथापि प्रायोगिक योग के साधनों के लिए के लिये घेरण्ड संहिता , शिव संहिता , हठ योग प्रदीपिका एवं योग तथा तंत्र के प्राचीन ग्रंथों एवं उपनिषदों को भी शिरोधार्य करना पड़ता है इसलिए इनमें संकलित ज्ञान को भी यथासंभव समाहित किया गया है । संस्था योग के प्रायोगिक भाग को ही सर्वोपरि स्थान देती है इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में भी प्रयोगिक ज्ञान का पूर्ण समावेश है । (Price Rs 400 / US $16)